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# DAILY QUOTE # -"हर भले आदमी की एक रेल होती है/ जो माँ के घर तक जाती है/ सीटी बजाती हुई / धुआँ उड़ाती हुई"/ Every good man has a rail / Which goes to his mother / Blowing wistles / Making smokes [– आलोक धन्वा, विख्यात कवि की एक पूर्ण कविता / A full poem by Alok Dhanwa, Renowned poet]

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Monday 10 July 2017

'डॉ.ए.के.सेन होने का मतलब' - आइ.एस.सी.यू.एफ. तथा 'अभियान' के द्वारा डॉ.ए.के.सेन जन्मशताब्दी समारोह आयोजित

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 डॉक्टरी के आगे बहुत कुछ-  जनता की बहुआयामी सेवा करनेवाला एक महान व्यक्तित्व
Read this report in English here: https://biharidhamaka.blogspot.in/2017/07/birth-centenary-celebration-of-dr-k-sen.html
पटना, 9 जुलाई।  "मै एक डॉक्टर हूँ। जब भी मेरे मन में लालच की आवाज कौंधती है, पैसे जे प्रति मोह जागता है, डॉ ए. के सेन की याद मुझे उस लालच से बचाती है। उन्होंने जीवन भर जितना काम बिहार की जनता और समाज के लिए किया, जितनी संस्थाओं का निर्माण किया उसकी दूसरी मिसाल नही है। हमें उनकी याद में उन सभी संस्थाओं को सक्रिय करना है जो उन्होंने अपने जीवन काल मे निर्मित किये।" ये बातें सुप्रसिद्ध चिकित्सक डॉ सत्यजीत ने डॉ ए. के सेन जनशताब्दी समारोह पर आयोजित 'ए.के.सेन होने का मतलब' विषय पर आयोजित समारोह में अध्यक्षीय वक्तव्य देते हुए कहा। अनेक वक्ताओं ने अपने विचारों को आई. एम.ए में आयोजित 'भारतीय सांस्कृतिक सहयोग व मैत्री  संघ ' (इसकफ़ ) और अभियान सांस्कृतिक मंच द्वारा आयोजित कार्यक्रम में व्यक्त किया।

       "डॉ ए के सेन एक व्यक्ति नहीं संस्था थे। वे मरीजों के दुख को अपना दुख समझते थे। जबतक पुर्जे पर जगह रहती थी, तबतक वे मरीजों से दुबारा पैसा नहीं लेते थे। " उक्त बातें सुप्रसिद्ध डॉ एस एन आर्या ने डॉ ए के सेन जन्मशताब्दी समारोह को सम्बोधित करते हुए कही। जन्मशताब्दी समारोह अभियान सांस्कृतिक मंच और इसकफ़ के द्वारा आयोजित समारोह(डॉ ए के सेन होने का मितलब)  को सम्बोधित करते हुए श्री आर्या ने कहा कि ए के सेन अपने मरीजों के लिए भगवान थे। आई एम ए  के चेयरमैन सहजानन्द  ने कहा "  ए के सेन होने का मतलब है कि अपने प्रेक्टिस को ईमानदारी से करना। आई एम ए के निर्माण में उनकी प्रमुख भूमिका थी। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए सुप्रसिद्ध डॉ सत्यजीत ने कहा कि ए के सेन मरीजों के इमोशन के साथ जुड़ते थे। वे हमारे भाइयों के लिए गॉडफादर थे। डॉ सेन राजनीति, साहित्य और समाजिक विषयों पर बातचीत करते थे। सत्यजीत ने कहा कि डॉ सेन हमारे जैसे युवाओं को अच्छा डॉक्टर बनने में मदद दी। साथ देश दुनिया में शांति स्थापना हेतु डॉ सेन ने आईडीपीडी नामक डॉक्टरों का संगठन बनाया। पटना कॉलेज के पूर्व प्रचार्य प्रो0 एन के चौधरी ने कहा कि डॉ ए के सेन प्रगतिशील लोगों को जोड़ कर रखते थे तथा कही भी संगठन निर्माण में लगे रहते थे। एन के चौधरी ने कहा कि सेन साहब का जीवन ही हम सब के लिए सन्देश है। वे हमेशा युवाओं को प्रोत्साहित करते रहते थे।

     आई एम ए के उपाध्यक्ष डॉ अजय कुमार ने कहा कि मैंने डॉ सेन के व्यक्तित्व से प्रभावित होकर  वामपंथ की तरफ जुड़ने का फैसला किया। आईएमए इस साल डॉ सेन की जन्मशताब्दी वर्ष मनाएगा तथा स्वास्थ पर मिलेनियम डेवलपमेंट गोल निर्धारित किया है उसे पूरा करने का प्रयास आईएमए करेगा।

    सुप्रसिद्ध डॉ राजीव रंजन ने  डॉ ए के सेन जन्मशताब्दी समारोह को सम्बोधित करते हुए कहा कि सेन साहब हमारे चिकित्सा जगत के गुरु थे। आज जब व्यक्ति की पहचान जाति से होती है उस समय डॉ सेन याद आते है जिन्होंने जाति और धर्म के विरोध में कर्म प्रधान समाज बनाया। उन्होंने कहा कि डॉ सेन मानव रूप में चलता फिरता एक फरिश्ता था जिसका जीवन मरीजों के लिए समर्पित था। राजीव रंजन ने कहा कि वे हम सब डॉ से अलग थे जो जीवन संस्थाओं के निर्माण में लगा दिया। समाजिक कार्यकर्ता अरविंद सेन ने कहा कि आज जब समाज जातियों और धर्मो में बटा हुआ है उस समय मे डॉ सेन ज्यादा याद आते है जिन्होंने समतामूलक समाज बनाने में अपना जीवन लगा दिया।जनकवि आलोकधन्वा ने डॉ सेन जन्मशताब्दी समारोह को सम्बोधित करते हुए कहा कि डॉ सेन डॉ होने के साथ साथ सामाजिक गतिविधियों में बढ़चढ़ कर हिस्सा लेते थे। वे मुंगेर में आई बाढ़ में बढ़ चढ़ कर भाग लिया तथा राहत सामग्री पहुचाई। रामबाबू ने कहा कि वे एक अच्छे डॉक्टर होने के साथ साथ एक अच्छे कम्युनिस्ट थे।

     हिंदी के सुप्रसिद्ध कवि अरुण कमल ने कहा कि डॉ सेन होने का मतलब है कि हम अपने काम को ईमानदारी और निष्ठा से करे, और दूसरों की मदद करे। अरुण कमल ने कहा कि आज बिहार की जितनी संस्था है उनकी ऋणी है लेकिन आज हमारा समाज अपने पुरखों को भूलता जा रहा है।डॉ ए के सेन के निकटतम सहयोगी अब्दुल मन्नान ने डॉ ए के सेन के जीवन को निकटता से प्रकाश डालते हुए कहा कि वे एक ऐसे डॉक्टर थे जिन्होंने हमेशा इंसानियत की पूजा की तथा मरीजों का इलाज ईमानदारी से किया।
अभियान सांस्कृतिक मंच और भारतीय सांस्कृतिक-सहयोग एवं मैत्री संघ द्वारा आयोजित डॉ ए के सेन जन्मशताब्दी समारोह  में सर्वप्रथम  मैत्री-शांति नामक एक पत्रिका का विमोचन डॉ एस एन आर्य, डॉ सत्यजीत, डॉ अजय कुमार, डॉ सहजानन्द,डॉ राजीव रंजन, कवि आलोकधन्वा, प्रो0 एन के चौधरी, डॉ एन के सिंह और रमेश जी के द्वारा किया गया। इस जन्मशताब्दी समारोह को प्रो0 विनय कंठ, डेजी नरायण, रंगकर्मी वीनू, रमेश कुमार आदि ने भी सम्बोधित किया।

    आई एम ए हॉल, गाँधी मैदान, पटना में आयोजित डॉ ए के सेन जन्मशताब्दी समारोह में रूपेश जी, अनिल कुमार राय, गालिब खान,प्रभात सरसिज,अक्षय जी,अभिनेता रमेश कुमार, रवींद्र कुमार राय मौजूद थे। कार्यक्रम का संचालन अनीश अंकुर और धन्यबाद ज्ञापन डॉ हर्षवर्धन ने किया।
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आलेख : अनीश अंकुर
छाया-चित्र : हेमन्त दास 'हिम'
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                     कुछ वक्ताओं के कथन :
प्रो. नवल किशोर चौधरी (अर्थशास्त्री, पटना विश्व.) - सेन साहब राजनीतिक, सामाजिक और ऐतिहासिक विषयों का अच्छा ज्ञान रखते थे और उन पर बातचीत करने में काफी रूचि लेते थे.

डॉ. डेजी नारायण- वे बहुत सरल स्वभाव के थे और हमारे फैमिली डॉक्टर थे. उन्होंने अनेक प्रकार से समाज के कार्य किये, लाइब्रेरी मूवमेंट भी चलाया. आज का समय संकट का दौर है. एक खास तरह की विचारधारा हम पर थोपी जा रही है. इससे जूझने के लिए हमें ए.के.सेन को याद करने की जरूरत है. हमें अपने व्यवहार में बौद्धिक दृढ़ता (intellectual rigour) लाने की जरूरत है.

डॉ. राजीव रंजन- डॉ. सेन चाहते तो शानो-शौकत के साथ आराम से रह सकते थे. अच्छी प्रैक्टिस थी. परन्तु उन्होंने समाज-कल्याण के लिए अपना सवस्व न्यौछवर कर दिया. (डॉ. राजीव रंजन ने हरिवंश राय बच्चन की मधुशाला की पंक्तियाँ सुनाई- "...बैर कराते मंदिर मस्जिद, मेल कराती मधुशाला."  साथ ही इन्होंने 'दिनकर' की पंक्तियों को भी कई बार उद्दृत किया.)

गंगा झा (शिक्षकेतर कर्मचारी महासंघ) - डॉ. सेन ने समाज के विभिन्न वर्गों के लिए बहुत कुछ किया जिनमें शिक्षकेतर कर्मचारी वर्ग प्रमुख था. उन्हीं के प्रयासों से कंकड़बाग में संघ का बड़ा सा भवन बना जो अन्य बड़े संघों को अब तक नहीं नसीब हो पाया है. वे इसके संरक्षक थे और बड़ी से बड़ी कठिनाई को अपने संरक्षण-काल में दूर किया. उनका बड़ा प्रभाव था.

डॉ. शुभोजीत सेन (डॉ. ए.के. सेन के पौत्र) - यह कार्यक्रम मेरे लिए एक सीखने का अवसर (learning process) है क्योंकि मुझे बहुत सारी बातें उनके सम्बंध में अब तक नहीं मालूम है.

प्रो. अरुण कमल (वरिष्ठ साहित्यकार)- डॉ. सेन कहा करते थे कि मेरा काम रोग को दूर करना नहीं बल्कि रोग की जड़ को ठीक करना है. सिर्फ आदमी के शरीर को ही नहीं आत्मा और समाज को भी ठीक करना है. उन्होंने इप्टा (भारतीय जन नाट्य संघ) खड़ा किया. बहुत लोगों को नौकरियाँ दिलवाईं. वे स्वभाव के विनोदी भी थे. मैं (प्रो. अरुण कमल) जब शिक्षक आंदोलन के समय जेल में महिने भर रहा तो डॉ. सेन हर एक-दो दिन पर मेरे घर जाकर हाल-चाल पूछते रहे. उन्होंने इसी तरह व्यक्तिगत आत्मीयता से हजारों लोगों की मदद की. 

आलोक धन्वा (अध्यक्ष, बिहार संगीत नाटक अकादमी)- रंगमंच को भी डॉ. सेन का संरक्षण मिला हुआ था. वे एक महान व्यक्तित्व थे जिधर भी उनकी नजर पड़ी उसका कल्याण किया.

रामबाबू कुमार (नेता, भाकपा)- वैश्वीकरण के दौर ने दुनिया को एक बाजार और आदमी को एक ग्राहक में बदल कर रख दिया है. इस समय डॉ. सेन की याद आती है जो मानवतावादी थे. डॉ. सेन बड़ी अंतरंगता से मरीजों से बात किया करते थे और जिस पर भी हाथ रखते थे वह अपने-आप को चंगा महसूस करने लगता था.

अब्दुल मन्नान (ए.के. सेन के सहयोगी)- इप्टा में मैं शुक्ला जी का सहायक था जो डॉ. ए.के. सेन के सहयोगी थे. उन्हें इप्टा से बहुत लगाव था.

बीनू जी (इप्टा)- जब हम लोगों ने शिकायत की कि आप इप्टा के संरक्षक हैं लेकिन इसे बहुत कम समय देते हैं तब उन्होंंने कहा कि कमजोर बच्चे को अभिभावक ज्यादा समय देते हैं. इप्टा तो काफी मजबूत संस्था है.

मोहन प्रसाद (संयोजक, झुग्गी झोपड़ी मोर्चा)- डॉ. सेन झुग्गी-झोपड़ी वालों के लिए एक मसीहा थे. उन्हीं के प्रयासों से राजेंद्र नगर में 600 फ्लैट का एक भवन (पीली कोठी) बनाकर हम गरीबों को दिया गया.

रमेश प्रसाद- डॉ. ए. के. सेन होने का मतलब है कम फीस और कम दवा. 1953 में उनकी फीस 10 रु. थी जो उनकी 1987 में मृत्यु के समय के कुछ पहले तक मात्र रु. 16 ही थी. वे जब नगर विकास प्राधिकरण के प्रभारी थे तो उन्होंने दो फ्लैट लिए जिनमें से एक वर्किंग वूमेंस होस्टल बनवाया जो अभी भी चल रहा है. दूसरा फ्लैट उन्होंने महाविद्यालय कर्मचारी महासंघ को दिया. अपने लिए एक भी फ्लैट नहीं रखा. डॉ. ए.के. सेन होने का मतलब है महामानव होना.

डॉ. सत्यजीत (अध्यक्ष)- पटना विश्ववि. के छात्रों से  वे फीस नहीं लेते थे. उनका कहना था कि "Medicine is not my totality, it's only a medium to reach the people". उन्होंने 'एसोसियेशन फॉर प्रीवेंशन ऑफ न्युक्लीयर वॉर' संस्था के लिए काफी काम किया.

डॉ. हर्षवर्धन - सभी आगंतुकों का धन्यवाद विशेष रूप से उन डॉक्टरों का जो अपनी अत्यंत व्यस्तता के बावजूद डॉ. सेन के लिए इतना समय निकाला. 
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प्रस्तुति: हेमन्त दास 'हिम'

























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